भारत की आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के साथ कई महान विभूतियों ने योगदान दिया, लेकिन भारतीय मुद्रा पर एकमात्र उनकी तस्वीर क्यों है? क्या अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को इस सम्मान से वंचित रखा गया? आइए, जानते हैं इसका जवाब।
भारत की मुद्रा पर महात्मा गांधी की तस्वीर को लेकर सवाल अक्सर उठाए जाते हैं। यह सवाल उठाना स्वाभाविक है कि क्यों सिर्फ गांधी जी की तस्वीर का ही चुनाव किया गया, जबकि देश की आज़ादी में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. बी.आर. आंबेडकर और कई अन्य महापुरुषों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
आरबीआई के दस्तावेज़ों के अनुसार, गांधी जी की तस्वीर का चयन इसलिए किया गया क्योंकि वह स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे प्रतीक बन गए, जो हर वर्ग और क्षेत्र से जुड़े। 1996 में पहली बार गांधी जी की तस्वीर वाले नोट जारी किए गए, जिन्हें ‘महात्मा गांधी सीरीज़’ का नाम दिया गया। इससे पहले, भारतीय नोटों पर अशोक स्तंभ और अन्य राष्ट्रीय प्रतीक होते थे।
लेकिन सवाल यही है कि अन्य महापुरुषों को क्यों नहीं मिला ये सम्मान?
विशेषज्ञों का मानना है कि महात्मा गांधी का अहिंसात्मक आंदोलन और उनके द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हर भारतीय को जोड़ने की कोशिश ने उन्हें एक राष्ट्रीय प्रतीक बना दिया। यह भी तर्क दिया जाता है कि गांधी जी का जीवन, आदर्श और उनकी विश्वव्यापी पहचान उन्हें इस योग्य बनाती है कि वे भारतीय मुद्रा पर हों।
हालांकि, एक बढ़ती मांग यह भी है कि देश के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को भी इस तरह का सम्मान मिलना चाहिए, ताकि उनका योगदान भी लोगों के दिलों-दिमाग में जीवित रहे।
“तो ये थी हमारी खास रिपोर्ट, जिसमें हमने जाना कि क्यों भारतीय मुद्रा पर महात्मा गांधी की तस्वीर है और अन्य स्वतंत्रता सेनानी इस सम्मान से क्यों वंचित रहे। क्या आपको भी लगता है कि इस पर बदलाव होना चाहिए? अपनी राय हमें बताइए।”