दंतेवाड़ा के तात्कालीन सहायक आयुक्त ने खरीदी की कागजों में खाट गद्दा,ले उड़े करोड़ो रुपए” इस बार भी आदिवासी बच्चों को सोना पड़ेगा खुद के पेटी ऊपर…

Spread the love

प्रधान संपादक नीरज शिवहरे की खास रिपोर्ट

बारसूर/दंतेवाड़ा/दंतेवाड़ा में आदिवासी विकास विभाग द्वारा खाट, गद्दा और बर्तन खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। राज्य में बिना बजट अवलोकन के ही 1करोड़ रुपये के बेडशीट जर्ब़न हेंगल व बर्तन की खरीदी कर ली गई है। दंतेवाड़ा जिला के कई आश्रम शालाओं व अन्य पोटाकेबीन के नाम पर हुई करोड़ों रुपए खर्च। लेकिन इस खरीदी में उन आश्रमों के नाम पर भी हुई खरीदी जहां इसके अब तक कोई आश्रमों में सामान ही नहीं मिला न ही बच्चों ने उपयोग किया है। बड़े पैमाने पर हुए इस भ्रष्टाचार का खुलासा सूचना का अधिकार के द्वारा भ्रष्टाचार का आदिवासी विकास विभाग की पुरा भ्रष्टाचार का खजाना ही खोल दिया।

वहीं दंतेवाड़ा जिले में पदस्थ बाबूओं व अधिकारियों ने तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी डॉ आनंद जी सिंह के होना बताया और उन्हीं के करीब ठेकेदार को खरीदी का टेंडर दिलाया गया था। खरीदी किए गए सामान जिले के कोई भी आश्रमों तक दो साल में भी नहीं पहुंच पाई, आखिर गया तो गया कहां।
डीएम एफ जैसे फंड को भी नहीं बक्से पूर्व सहायक आयुक्त।
इस मामले को लेकर आदिवासी विकास विभाग के बाबूओं से जानकारी छाई गई तो उन्होंने साफ तौर से कहा कि यह मामला
अकाउंटेंट सर लोगों का है । मेरे समय का नहीं है, फिर भी अपने आप को बचाने के लिए बार-बार फोन पर छटपटाने रहे।
अब सूचना के अधिकार में विभाग की जानकारी सामने आने के बाद बवाल मचा हुआ है।
इसमें फर्जीवाड़ा जमकर किया गया है।
लिया गया जानकारी
दरअसल, आदिवासी विकास विभाग के ऑफिस से वित्तीय वर्ष 2022 और 23 का जानकारी लिया गया। तो इस में डीएम एफ फंड में बिना किसी संबंधित बजट व आश्रमों की बिना मांग पत्र के ही 1करोड़ लगभग आवंटन के ही सरकारी आश्रमों के लिए आदिवासी विकास विभाग ने गंजी बर्तन व खाट बेड शीट गद्दा की खरीदी की गड़बड़ियां कर डालने की सच्चाई सामने आई हैं।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन दंतेवाड़ा जिले में 80 से अधिक आश्रम शाला और 20 से अधिक लगभग पोटाकेबिन हैं। सरकार इन आदिवासी बच्चों के रहने सोने के लिए पुख्ता इंतजाम कराती है,जब हमने दंतेवाड़ा के हर एक आश्रमों पहुंचकर देखा तो बच्चों को सोने के लिए केवल टूटे-फूटे खाट व सड़े हुए गद्दा ही नजर आ रहा था।जहां बच्चे को नए गद्दा तो क्या इनका इस्तेमाल करने के लिए तो दूर- दूर तक कुछ भी नहीं दिखा। दंतेवाड़ा जिले के चारों विकास खंड में मिला तो सिर्फ और सिर्फ सड़े गले अनावश्यक खाट गद्दा या इन सामनों को रखने के कहीं स्टोर रुम तो आधा से ज्यादा आश्रमों में खाली रूम ही मिला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *