नारायणपुर के हांदावाड़ा में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था…इलाज से दूर गांव, न दवा न डॉक्टर, कागज पर सिमटी है स्वास्थ्य सेवा

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हर साल होती है उपस्वास्थ्य केन्द्र के लिए दस लाख से अधिक दवाई व सामाग्री का खरीदी।

दंतेवाड़ा/बारसूर। नारायणपुर जिला के ओरछा ब्लाक के हांदावाड़ा की आबादी करीब 2 हजार से ज्यादा है। ग्रामीण आबादी को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने में लंबी दूरी तय करनी पड़ती हैै। इसलिए पंचायत स्तर पर उपस्वास्थ्य केन्द्र खोले गए हैं। ताकि लोगों की छोटी-छोटी दिक्कतों का उपस्वास्थ्य केन्द्र में जांच हो सके। हांदावाड़ा व बेड़मा के गांव में की गई चिकित्सा व्यवस्था से लोगों को लाभ नहीं मिल पा रही है। नारायणपुर जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की लापरवाही की कमी के कारण लोगों को जान गवाने व जाड़ फूंक कर जैसे कठिनाइयों का सामना करना पर रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हांदावाड़ा में भी हमेशा दवा व इलाज व्यवस्था की कमी के वजह से मरीजों को चिकित्सा के लिए दो चार होना पड़ता है। और दंतेवाड़ा जिले के बारसूर, छिंदनार, गीदम स्वयं की धनराशि खर्च करके जाना पड़ता है।

हालांकि अभी मलेरिया को लेकर नारायणपुर जिले व बाहुबली मूवी से पहचान दिलाने वाली गांव हांदावाड़ा में भी इलाज सेवा पुरी तरह टप है। इस कारण मरीजों को यत्र-तत्र भटकना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य लापरवाह डाक्टर व आधारभूत ढांचे की कमी और चिकित्सकों की अनुपलब्धता से मरीजों को निजी अस्पतालों व चिकित्सकों के तरफ रुख करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इससे मरीजों को एक बड़ी धनराशि खर्च होती है। गांव में उपस्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था अस्थाई के तौर पर तो की गई है, लेकिन इसमें इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ता है। ग्रामीण इलाकों के मरीजों को आज भी काम काज को छोड़कर इलाज के लिए शहर की ओर ही भागना पड़ता है।

ओरछा ब्लाक के हांदावाड़ा गांव में अस्थाई उपस्वास्थ्य केंद्र की सुविधा होने के बाद भी लोगों को लाभ नहीं मिल पाती है। चिकित्सक, दवा सहित अन्य व्यवस्थाओं की घोर कमी से अस्थाई अस्पताल खुद जूझ रहा है। यहां टीकाकरण तक के दिन भी नजर नहीं आती स्टाफ व एएनएम| सरकारी नियमों में बताया गया है कि प्रत्येक उपस्वास्थ्य केंद्र पर दो एएनएम को प्रतिदिन रहना है। इसे आंगनबाड़ी केंद्र पर टीकाकरण व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य जांच करना है। वहीं रेफर करने वाले मरीज को अस्पताल भी भेजना है ।साथ ही मलेरिया टाइफाइड,डायरिया वाले इलाके में जाकर उसकी जांच कर अस्पताल को रिपोर्ट भी सौंपना होता है।

लेकिन ओरछा ब्लाक के हांदावाड़ा गांव में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। लोगों का कहना हैै कि टीकाकरण के दिन भी कोई डाक्टर या एएनएम केंद्र व गांव में आज तक नजर नहीं आयी है। हांदावाड़ा बेड़मा के केंद्र पर चिकित्सक के नहीं होने के कारण सर्दी, खांसी बुखार जैसी बीमारी पर भी लोगों को दवा नहीं मिल पाती है। हालांकि अभी आज तक सरकारी दवाई भी इस गांव तक नहीं पहुंच पाई। डाक्टर साहब को तो जिला अस्पताल से बराबर दवाई उठा रहे हैं पर आज तक हांदावाड़ा व बेड़मा में दवाई नहीं बाटी गई है। आखिर दवाईयां जा कहां रही है ।या यहां के पोस्टिंग डॉक्टर सहाब दवाई को गुप्त गु कर खा गए।

डाक्टर साहब की लंबी है जुगाड़…..

सवाल यह भी उठने लगा है कि हांदावाड़ा में पदस्थ डाक्टर साहब की कांकेर ,पखांजूर,अन्तागढ़, नारायणपुर,जगदलपुर,मेडिकल स्टोर वोलो से लंबी जुगाड़ भी है, आखिर दवाईयां ग्रामीणों के ईलाज में नहीं खफ रही है तो कहां कफ रहीं हैं। फिलहाल यह तो जांच का विषय है।

इस मामले को लेकर नारायणपुर सीएमएचओ टी आर कुंवर से बात बीच करने पर मामला संज्ञान में है इसकी जांच की जा रही है,जो भी गलती आती है तो हांदावाड़ा में पदस्थ डाक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किया जाएगा।

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