जशपुर। आज नाग पंचमीं है, इस दिन छत्तीसगढ़ में नागों की पूजा की जाती है। प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में नाग पंचमीं का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसी कड़ी में हम आपको आज एक ऐसे अंचल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे नागलोक कहा जाता है। जी हाँ छत्तीसगढ़ में एक जैसी जगह है जिसे धरती का नाग लोक कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले को नागलोक (Naglok) के नाम से जाना जाता है। क्योकि जशपुर देशभर की सिर्फ एक ऐसी जगह है जहां कोबरा (Cobra) और करैत जैसे जहरीले सांपों का बसेरा है।
दरअसल, जशपुर जिले में सांप की 29 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह इलाका सांपों के लिए अनुकूल है। यहां वाईट लिपट पीट वाइपर जैसे जहरीले सांप पाए जाते हैं। इस विशेष प्रजाति के सांप में एक ही पोजिशन में घंटों स्थिर रहने की अद्भुत क्षमता होती है। इसका जहर मनुष्य के किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचाता है, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में बेहद अल्प संख्या में पाया जाने वाला विषविहीन सांप कापर हेड ट्रिकेंट भी जशपुर में पाया जाता है। यह सांप नाग की तरह फन निकालता है, जिससे इसके बेहद जहरीला होने का भ्रम होता है। लेकिन, वास्तव में यह सांप विषविहीन होता है। जिले में पाए जाने वाली सांपों की प्रजातियों की खोज शिक्षक कैसर हुसैन और उनकी संस्था ग्रीन नेचर वेलफेयर सोसायटी से जुड़े उनके साथियों ने की है। उनकी इस संस्था से 15 सदस्य जुड़े हुए हैं। इनमें से 10 सदस्य, सांप रेस्क्यू अभियान से जुड़े हुए हैं।
जशपुर सांपों के लिए अनुकूल क्षेत्र
डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि, जिले में वन्य जीवों की अंतिम गणना वर्ष 2022 में की गई थी। इस गणना में शाकाहारी और मांसाहारी जीवों को शामिल किया गया था, लेकिन इनमें सांप शामिल नहीं था। सांपों को जशपुर जिले का मौसम बहुत भा रहा है। यही कारण है कि जिले में सर्प प्रभावित क्षेत्र का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जशपुर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जहां शीतल, गर्म और आर्द्र तीनों प्रकार का जलवायु पाया जाता है। यहां चट्टान युक्त पहाड़ और खोखले पेड़ की संख्या भी अधिक है। भूरभूरी मिट्टी में चूहा और दीमक भी अधिक संख्या में पाए जाते हैं और ये सांप का पसंदीदा भोजन होते हैं। भोजन और रहवास की अनुकुलता, जशपुर को सांप का पसंदीदा स्थान बना रहे हैं।
प्राकृतिक फूड चेन के टूटने से बढ़ी सांपों की संख्या
जशपुर में सांपों की संख्या बढ़ने का एक कारण, प्राकृतिक फूड चेन का टूटना भी है। इस सिस्टम से प्रकृति सभी जीव-जंतुओं की संख्या को संतुलित रखती है। लेकिन बीते कुछ सालों में सांपों का भक्षण करने वाले बाज, चील, गिद्द के साथ नेवलों की संख्या भी कम हुई है। इससे स्वाभाविक रूप से सांपों की संख्या में वृद्धि हो रही है।