रायपुर। PSC घोटाले को लेकर CBI का एक्शन शुरू हो गया है। विष्णुदेव साय सरकार की सिफारिश पर केंद्र ने जांच शुरू कर दी है। दरअसल वर्ष 2020-2022 परीक्षा के दौरान, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी सहित अन्य वरिष्ठ पदों हेतु चयन परीक्षा ली थी। इस परीक्षा में पक्षपात के आरोप लगे थे। तत्कालीन भूपेश सरकार पर करीबियों व अधिकारियों के रिश्तेदार को पद बांटने का आरोप लगा था। भाजपा सरकार बनने के बाद राज्य सरकार ने इसकी जांच की सिफारिश CBI को भेजी थी। जिसके बाद अब जांच अब CBI ने शुरू कर दी है।
सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, तत्कालीन सचिव, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) एवं अन्यों के विरुद्ध ईओडब्ल्यू/एसीबी पुलिस स्टेशन, रायपुर में अपराध संख्या 05/2024 तथा अर्जुन्दा पुलिस स्टेशन, जिला – बालोद में अपराध संख्या 28/2024 के तहत पूर्व में दर्ज मामलों की जांच के लिए मामला दर्ज किया।
इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे, बेटी, रिश्तेदारों, अपने परिचितों आदि को भर्ती करके अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया, जो वर्ष 2020-2022 के दौरान, आयोजित परीक्षा व साक्षात्कार में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के विभिन्न पदों हेतु कथित रूप से अयोग्य उम्मीदवार थे।
आरोप है कि तत्कालीन अध्यक्ष के बेटे का चयन कथित तौर पर डिप्टी कलेक्टर, उनके बड़े भाई के बेटे का चयन डिप्टी एसपी एवं उनकी बहन की बेटी का चयन लेबर ऑफिसर, उनके बेटे की पत्नी का चयन डिप्टी कलेक्टर तथा उनके भाई की बहू का चयन जिला आबकारी अधिकारी के पद पर हुआ। आगे यह आरोप है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन सचिव ने अपने बेटे का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर कराया।
यह भी आरोप है कि अन्य के अतिरिक्त, छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के पुत्रों, पुत्रियों, रिश्तेदारों के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं एवं पदाधिकारियों को डिप्टी कलेक्टर व डीएसपी आदि के रूप में चयनित किया गया।सीबीआई द्वारा, रायपुर व भिलाई में स्थित सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष व सचिव के आवासीय परिसरों तथा सीजीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक के आधिकारिक परिसरों की तलाशी ली जा रही है।