घरघोड़ा। बरसात शुरू होते ही संक्रामक बीमारियां धीरे-धीरे पैर पसारना शुरू कर देती है। ये मौसम आता देख झोलाछाप डॉक्टर भी ग्रामीण क्षेत्रों में अपने जाल फैलाने लगे हैं। अधिकतर मरीज झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने में संतुष्टि समझते हैं।
दरअसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और स्टाफ की कमी और बढ़ती मरीजों की संख्या के कारण लोग बिना डिग्री डिप्लोमा के क्लीनिक संचालित कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टरों ने भी गांव-गांव में अपने क्लीनिक खोल दिए हैं, जहां वह कम पैसे में मरीज का इलाज कर उनके जीवन से खिलवाड़ करने में लगे हैं लेकिन लंबे समय से संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कारवाई ना किए जाने से इनकी संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। इस वक्त झोलाछाप कथित डॉक्टर फिर से इलाज के नाम पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
इसके साथ-साथ जो बीमार व्यक्ति गलती से इनके पास चला गया वह अपनी मेहनत की सारी कमाई भी लुटा दे रहा है, फिर भी ना तो वह ठीक हो पाता है ना तो अपना पैसा बचा पा रहा है। विकास खंड के कई ऐसे गांव हैं जहां कम पढ़े लिखे लोग मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हरनारायण कोकचा द्वारा लिखित डॉक्टर कैसे बनें नामक किताब की मांग बरसात का मौसम आते ही अचानक बाजार बढ़ जाती है। जिस किताब को पढ़कर कम पढ़े लिखे लोग भी सुई लगाना और ग्लूकोस का बॉटल चढ़ाना, दवा गोली देना सिख जाते हैं और अपने आप को कम्प्लीट डॉक्टर समझने लगते हैं।
सुई बाटल लगाने के नाम पर मनमाना पैसा मरीज से वसूल रहे हैं यह झोलाछाप कथित डॉक्टर बिना जानकारी के दवाओं का एक्सपेरिमेंट मरीजों पर कर रहे हैं जिससे गांवों में गलत इलाज के चलते कई मरीजों की मौत भी हो चुकी है। फिर भी इन पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करना शासन/प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन इनको इलाज करने दे रहा है तो कहीं कोई सेटिंग तो नहीं चल रहा! अब देखना होगा खबर के बाद कोई कार्रवाई शुरू होती है या नहीं।