शरद पूर्णिमा पर खीर के सेवन के लाभ, आखिर क्यों कहलाती है अमृत!

Spread the love

शरद पूर्णिमा साल भर में आने वाली पूर्णिमाओं में से एक विशेष अवसर है, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी कई लाभकारी गुणों से भरा होता है.इस दिन विशेष रूप से खीर बनाई जाती है, जिसे रातभर चांद की रोशनी में रखा जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और इसके पीछे कई वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण हैं.

आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है.इस दिन चंद्रमा से अमृत वर्षा होने की मान्यता है.जब खीर को रातभर चांद की किरणों के संपर्क में रखा जाता है, तो यह औषधीय गुणों से भर जाती है.चांद की रोशनी में रखी खीर में ऐसे तत्व विकसित होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं.

खीर में दूध और चावल के साथ-साथ अन्य सामग्री जैसे चीनी, मेवे और मसाले भी होते हैं, जो इसे और भी पौष्टिक बनाते हैं.चांद की किरणों के संपर्क में आने से खीर में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स की मात्रा बढ़ जाती है, जो शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं.यह खीर न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसके सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है.

इसके अलावा, शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन करने से नींद में सुधार, तनाव में कमी और त्वचा की चमक बढ़ाने में भी मदद मिलती है. आयुर्वेद के अनुसार, चंद्रमा की रोशनी से प्राप्त ऊर्जा शरीर में सकारात्मक प्रभाव डालती है, जिससे व्यक्ति की सेहत में सुधार होता है.

इस दिन खीर को बनाने और रखने की विधि भी महत्वपूर्ण है.खीर को रातभर घर के बाहर, छत या गैलेरी में रखना चाहिए, ताकि चांद की किरणें सीधे खीर के बर्तन में पड़ें.इसे थाली की जगह झीने कपड़े से ढकना चाहिए, ताकि चंद्रमा की किरणों का प्रभाव दूध और चावल पर सही तरीके से पड़े.

इस प्रकार, शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है. सभी को इस अवसर का लाभ उठाने और खीर का सेवन करने की सलाह दी जाती है, ताकि वे इसके अद्भुत स्वास्थ्य लाभों का अनुभव कर सकें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *