पिछले 5 साल से सो रहे खाली पलंग और जमीन पर बच्चे ।
रिपोर्टर- जोगेश्वर नाग की कलम से
दंतेवाड़ा जिला भर के आदिवासी बच्चों के नाम से करोड़ों रुपए का बंदरबांट।
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी आदिवासी परिवार से ही बने। लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिला में एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है । छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री होंने के बाद भी आदिवासी बच्चों को नहीं मिल पा रही आदिवासी होने का सुविधा। बस्तर संभाग तो ऐसे भी नक्सल मामले में काफी चर्चा में रहता है। लेकिन उन्हीं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के गरीब आदिवासी बच्चों के लिए सरकार के द्वारा आश्रमों का संचालन किया जा रहा है। इसमें लगभग दंतेवाड़ा जिले भर के चारों विकास खंड में 80 से भी अधिक आश्रम शालाओं संचालित है। लेकिन उसमें रहकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए सरकार की तरफ से करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन दंतेवाड़ा में आदिवासी विकास विभाग द्वारा आदिवासी बच्चों के लिए खाने पीने, व सोने जैसी कहीं व्यवस्था करती है। लेकिन दंतेवाड़ा जिले में पिछले 5 सालों से ना तो खाट मिला ना ही गद्दा ।लेकिन यहां पदस्थ तात्कालीन सहायक आयुक्त आंनद जी सिंह ने बाबूओं के साथ मिलकर कर करोड़ों रुपए की सामग्री खरीदी की वो भी सिर्फ और सिर्फ कागजों में। यह मामला का खुलासा तब हुआ जब यहां से सहाब की स्थानांतरण बीजापुर में हुई। वहीं कुछ अधीक्षकों का कहना है कि हमने तों कहीं बार खाट गद्दा, गंजी थाली, गिलास के लिए आवेदन लिखकर भी दिए लेकिन आज भी हमारे आश्रमों में ना गद्दा मिला ना ही थाली गिलास मीली ।
यहां पर सेवा दे रहे तात्कालीन सहायक आयुक्त ने
दंतेवाड़ा में आदिवासी विकास विभाग द्वारा खाट, गद्दा और बर्तन खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। राज्य में बिना बजट अवलोकन के ही 1करोड़ रुपये के बेडशीट जर्ब़न हेंगल व बर्तन की खरीदी कर ली गई है। दंतेवाड़ा जिला के कई आश्रम शालाओं व अन्य पोटाकेबीन के नाम पर हुई करोड़ों रुपए खर्च। लेकिन इस खरीदी में उन आश्रमों के नाम पर भी हुई खरीदी जहां इसके अब तक कोई आश्रमों में सामान ही नहीं मिला न ही बच्चों ने उपयोग किया है। बड़े पैमाने पर हुए इस भ्रष्टाचार का खुलासा सूचना का अधिकार के द्वारा भ्रष्टाचार का आदिवासी विकास विभाग की पुरा भ्रष्टाचार का खजाना ही खोल दिया।
वहीं दंतेवाड़ा जिले में पदस्थ बाबूओं व अधिकारियों ने तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी डॉ आनंद जी सिंह के होना बताया और उन्हीं के करीब ठेकेदार को खरीदी का टेंडर दिलाया गया था। खरीदी किए गए सामान जिले के कोई भी आश्रमों तक दो साल में भी नहीं पहुंच पाई, आखिर गया तो गया कहां।
डीएम एफ जैसे फंड को भी नहीं बक्से पूर्व सहायक आयुक्त।
इस मामले को लेकर आदिवासी विकास विभाग के बाबूओं से जानकारी छाई गई तो उन्होंने साफ तौर से कहा कि यह मामला
अकाउंटेंट सर लोगों का है । मेरे समय का नहीं है, फिर भी अपने आप को बचाने के लिए बार-बार फोन पर छटपटाने लगे।
अब सूचना के अधिकार में विभाग की जानकारी सामने आने के बाद बवाल मचा हुआ है।
इसमें फर्जीवाड़ा जमकर किया गया है।
लिया गया जानकारी
दरअसल, आदिवासी विकास विभाग के ऑफिस से वित्तीय वर्ष 2022 और 23 का जानकारी लिया गया। तो इस में डीएम एफ फंड में बिना किसी संबंधित बजट व आश्रमों की बिना मांग पत्र के ही 1करोड़ लगभग आवंटन के ही सरकारी आश्रमों के लिए आदिवासी विकास विभाग ने गंजी बर्तन व खाट बेड शीट गद्दा की खरीदी की गड़बड़ियां कर डालने की सच्चाई सामने आई हैं।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन दंतेवाड़ा जिले में 80 से अधिक आश्रम शाला और 20 से अधिक लगभग पोटाकेबिन हैं। सरकार इन आदिवासी बच्चों के रहने सोने के लिए पुख्ता इंतजाम कराती है,जब हमने दंतेवाड़ा के हर एक आश्रमों पहुंचकर देखा तो बच्चों को सोने के लिए केवल टूटे-फूटे पलंग व सड़े हुए गद्दा ही नजर आ रहा था।जहां बच्चे को नए गद्दा तो क्या इनका इस्तेमाल करने के लिए तो दूर- दूर तक कुछ भी नहीं दिखा। दंतेवाड़ा जिले के चारों विकास खंड में मिला तो सिर्फ और सिर्फ सड़े गले अनावश्यक पलंग गद्दा या इन सामनों को रखने के कहीं स्टोर रुम तो आधा से ज्यादा आश्रमों में खाली रूम ही मिला।
वहीं साफ तौर से देखा जाए तो ऐसे अधिकारी लंबे समय से बस्तर में ही पदस्थ रहेंगे तो छत्तीसगढ़ सरकार को और भी बड़े पैमाने पर अरबों रुपए की चुना लगा सकते है, क्यों कि इन भ्रष्टाचार अधिकारी को उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।अब देखने वाली बात है कि इस खबर को लेकर उच्च अधिकारी जांच कराएंगे या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री स्वयं जांच टीम गठित कर प्रशासन को सौंपेंगे क्यों कि यह मामला कांग्रेस शासन काल का है