देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार नगर निगम से जुड़े 56 करोड़ रुपये के ज़मीन घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मंगलवार को दो IAS अधिकारियों समेत 12 अफसरों को निलंबित कर दिया गया। जांच में अनियमितताएं और लापरवाही सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया।
जिन अफसरों पर गिरी गाज:
IAS कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन जिलाधिकारी हरिद्वार
IAS वरुण चौधरी, तत्कालीन नगर आयुक्त
अजयवीर सिंह, SDM
वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकीता बिष्ट
वरिष्ठ सहायक विक्की
रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार
मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास
इससे पहले, अधिशासी अभियंता आनंद मिश्रवाण, राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट, और अवर अभियंता दिनेश चंद कांडपाल को पहले ही निलंबित किया जा चुका था। वहीं, दो अन्य अधिकारियों का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया।
क्या है घोटाले का मामला?
यह मामला वर्ष 2024 का है। जांच में सामने आया कि हरिद्वार नगर निगम ने ग्राम सराय क्षेत्र में स्थित अनुपयुक्त और कूड़े के ढेर से सटी 2.3 हेक्टेयर भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदा, जबकि उसकी वास्तविक कीमत करीब 15 करोड़ रुपये थी। जमीन की उपयोगिता को लेकर कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं बताया गया। आरोप है कि ज़मीन की खरीद में जानबूझकर अनियमितताएं बरती गईं और कीमत को कई गुना बढ़ाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।
सीएम धामी के निर्देश पर जांच और कार्रवाई
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोटाले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के आदेश दिए थे। सचिव रणवीर सिंह चौहान ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट 29 मई को सौंपी, जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हुई। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए और कार्मिक विभाग ने मंगलवार को निलंबन आदेश जारी कर दिए।
नए अफसरों की तैनाती
IAS मयूर दीक्षित को हरिद्वार का नया जिलाधिकारी बनाया गया है, जबकि IAS नितिका खंडेलवाल को टिहरी का डीएम नियुक्त किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।