अक्षय तृतीया पर पारंपरिक संस्कृति की बयार — गुड्डा-गुड़िया विवाह का भव्य आयोजन

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रायपुर: शासकीय मिनीमाता गर्ल्स कॉलेज, बलौदा बाजार में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ी पारंपरिक संस्कृति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हुए ‘गुड्डा-गुड़िया विवाह’ का भव्य आयोजन किया गया। हिंदी विभाग द्वारा नवाचार का एक स्वरूप: सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण एवं नवीन पीढ़ी को परंपराओं का हस्तांतरण- अक्षय तृतीया पर गुड्डा गुड़िया का विवाह एक सार्थक पहल ” इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में विवाह से जुड़े सभी रस्मों को पूरी निष्ठा, बारीकी और उत्साह के साथ निभाया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत मेहंदी समारोह से हुई, जिसमें छात्राओं ने पारंपरिक गीतों के बीच एक-दूसरे के हाथों में सुंदर मेहंदी रचाई और विवाह का वातावरण सजीव कर दिया। इसके बाद हल्दी रस्म का आयोजन हुआ, जहाँ हल्दी की पवित्रता के साथ दूल्हे-दुल्हन (गुड्डा-गुड़िया) के विवाह का शुभारंभ किया गया और छात्राओं ने पारंपरिक लोकगीतों के साथ रस्म को जीवंत बना दिया।

विशेष आकर्षण रहा बारात का आयोजन, जहाँ छात्राओं ने उत्साहपूर्वक बारात निकाली। ढोलक की थाप पर थिरकते हुए बाराती “गुड्डे ” को लेकर विवाह स्थल पर पहुँचे, जहाँ वधुपक्ष ने तिलक एवं रस्मों के साथ बारात का भव्य स्वागत किया।
फेरों के पश्चात
विदाई की रस्म अत्यंत भावुक रही। वधुपक्ष की छात्राओं ने भारतीय परंपरा के अनुसार बेटी के विदा होने की रस्म को इतनी सजीवता से निभाया कि उपस्थित सभी जनमानस भावुक हो उठे। इसके उपरांत वर पक्ष द्वारा वधु का स्वागत बड़े प्रेम और उल्लास के साथ किया गया, जिसने आयोजन को पूर्णता प्रदान की।

इस पूरे आयोजन का संचालन प्राचार्य डॉ. वासु वर्मा के कुशल मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम का आरंभ और समापन हिंदी विभाग के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के नेतृत्व में तथा सभी विभागों के प्राध्यापकों के सहयोग से संभव हो पाया। विशेष रूप से एम.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा सुरभि वर्मा एवं मनीषा पैकरा का आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

इस अवसर पर डॉ. कल्पना उपाध्याय, डॉ. सुरेखा राउत, डॉ. सुनीता त्यागी, डॉ. विद्या पांडेय सहित समस्त सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे और छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।

इस सांस्कृतिक आयोजन ने छात्राओं के भीतर भारतीय परंपराओं और मूल्यों के प्रति सम्मान एवं गर्व की भावना को और सुदृढ़ किया। कॉलेज परिवार ने इस अनूठे आयोजन के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक समृद्धि का सुंदर प्रदर्शन किया।

यह आयोजन नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप “स्थानीय संस्कृति और जीवन कौशल” को बढ़ावा देने की दिशा में एक अभिनव प्रयास रहा, जिसने शिक्षा को अनुभवात्मक, बहुआयामी और जमीनी स्तर से जोड़ने का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।

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