भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाले में EOW की एंट्री, 220 करोड़ से ज्यादा के घोटाले की जांच तेज़

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत सामने आए बड़े मुआवजा घोटाले की जांच अब राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) कर रही है। यह पहली बार है जब राज्य में किसी भूमि मुआवजा विवाद की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई है। सूत्रों के अनुसार, EOW ने इस मामले से जुड़े लगभग 500 पन्नों की रिपोर्ट प्रशासन से मंगवाई है और कई अहम दस्तावेज पहले ही जुटा लिए हैं। अब जल्द ही इस मामले में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है।

शुरुआती जांच में सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर लगभग 43 करोड़ रुपये का फर्जी मुआवजा हासिल किया था। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह आंकड़ा बढ़कर 220 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गया है। जांच एजेंसी को अब तक करीब 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन के रिकॉर्ड मिल चुके हैं।

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस मामले को विधानसभा बजट सत्र 2025 के दौरान जोर-शोर से उठाया था। इसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया। साथ ही उन्होंने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की है।

क्या है घोटाले की पूरी कहानी?

भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 950 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण की योजना है। इसमें दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन और शेष हिस्से में फोरलेन सड़क निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए बड़ी संख्या में किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत किसानों को जमीन की बाजार कीमत के साथ-साथ ‘सोलेशियम’ (मुआवजा का अतिरिक्त हिस्सा) भी दिया जाना था। लेकिन जांच में खुलासा हुआ है कि मूल मुआवजा जहां 35 करोड़ रुपये के आसपास होना था, वहीं अधिकारियों ने इसे बढ़ाकर 248 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया।

दिल्ली से दबाव के बाद खुला मामला

यह मामला तब सामने आया जब कुल 248 करोड़ रुपये के मुआवजे के बाद 78 करोड़ रुपये के और क्लेम आ गए। इसके बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने रायपुर कलेक्टर से जांच कराने को कहा था। लंबे समय तक जांच फाइलों में दबे रहने के बाद जब दिल्ली से दोबारा दबाव पड़ा, तब जाकर रिपोर्ट तैयार की गई। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कुल 300 करोड़ रुपये तक का घोटाला हुआ है।

जल्द हो सकती हैं गिरफ्तारियां

EOW ने कई बिंदुओं पर गुप्त जांच पूरी कर ली है और अब दोषियों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस मामले में गिरफ्तारी हो सकती है। यह छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा भूमि मुआवजा घोटाला माना जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मामले की जांच CBI को सौंपी जाती है या राज्य की एजेंसी ही इसे अंजाम तक पहुंचाएगी। लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन में इस घोटाले की गूंज और तेज़ होगी।

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