छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर पर छापेमारी के बाद ईडी की गाड़ी को रोकने और पथराव करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। दुर्ग पुलिस ने प्रवर्तन निदेशालय की टीम के एक वाहन को रोकने और पथराव करने की घटना में एफआईआर दर्ज की है। यह टीम छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे के खिलाफ एक मामले में उनके आवास की तलाशी लेने गई थी। सोमवार रात निजी वाहन के चालक ने उक्त जिले के ‘पुरानी भिलाई’ थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
सन्नी अग्रवाल समेत 15 से 20 लोगों के खिलाफ पुरानी भिलाई पुलिस ने ईडी की शिकायत पर मामला दर्ज किया है। भूपेश बघेल के घर ईडी की कार्यवाही के बाद वापसी के समय ईडी की इनोवा गाड़ी में सन्नी अग्रवाल ने पथराव किया था
ईडी ने कथित शराब घोटाले के मामले में उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत भिलाई के मानसरोवर कॉलोनी में बघेल के आवास और दुर्ग में 13 अन्य स्थानों पर छापेमारी की थी। सूत्रों के अनुसार, तलाशी करीब आठ घंटे तक चली, जिसके दौरान ईडी ने करीब 30 लाख रुपये नकद और कुछ दस्तावेज जब्त किए। ड्राइवर ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में कहा कि सोमवार को शाम करीब साढ़े चार बजे बघेल के घर से निकलते समय करीब 15-20 प्रदर्शनकारियों ने चार पहिया वाहन को रोक लिया और कुछ लोग बोनट पर चढ़ गए। एफआईआर में कहा गया है कि किसी ने पत्थर भी फेंका जो वाहन के आगे के शीशे पर लगा।पुलिस ने दंगा फैलाने [191(2)], गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने (190), स्वेच्छा से सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने (221), सरकारी कर्मचारी पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग (132) और गलत तरीके से रोकने [126(2)] और भिलाई निवासी सनी अग्रवाल और 15-20 अन्य लोगों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति विनाश कानून की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया है।
कार्रवाई के दौरान भूपेश बघेल घर पर मौजूद थे। बाद में उन्होंने ईडी की छापेमारी के मकसद पर सवाल उठाए, जबकि कांग्रेस ने कहा कि बघेल के खिलाफ छापेमारी उस दिन “सुर्खियों को मैनेज करने” की “साजिश” थी, जब संसद का बजट सत्र फिर से शुरू हुआ और सरकार को कई मुद्दों पर विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ा। चैतन्य बघेल को रायपुर में ईडी कार्यालय में मामले में पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। ईडी के अनुसार, मध्य भारतीय राज्य में कथित शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में सीएम बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था। संघीय जांच एजेंसी ने पहले कहा था कि छत्तीसगढ़ शराब “घोटाले” के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को “भारी नुकसान” हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबें 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध आय से भर गईं।