नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने अखिल भारतीय किसान कांग्रेस (Kisan Congress) के संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए चार राज्यों के नए अध्यक्षों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस बदलाव की घोषणा की।
चार राज्यों में नई जिम्मेदारियां
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, किसान कांग्रेस की राज्य इकाइयों के नेतृत्व में बदलाव किया गया है। इसके तहत—
- कामना प्रभाकर राव को आंध्र प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
- अभिषेक मिश्रा को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई है।
- धर्मेंद्र सिंह चौहान को मध्य प्रदेश का नया अध्यक्ष बनाया गया है।
- अशोक कुमार बैद्य को त्रिपुरा की जिम्मेदारी दी गई है।
कांग्रेस पार्टी की किसान इकाई द्वारा किए गए इस बदलाव को संगठन को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। पार्टी का मानना है कि नए नेतृत्व के साथ किसान कांग्रेस की राज्य इकाइयां किसानों से बेहतर संवाद स्थापित कर सकेंगी और उनकी समस्याओं को प्रभावी रूप से उजागर करेंगी।
किसान कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए इन नियुक्तियों की जानकारी साझा की। पोस्ट में लिखा गया—
“कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और त्रिपुरा के लिए किसान कांग्रेस की राज्य इकाइयों के अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सादर धन्यवाद। सभी नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्षों को हार्दिक बधाई।”
किसान कांग्रेस कांग्रेस पार्टी की एक महत्वपूर्ण इकाई है, जो किसानों से जुड़े मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का कार्य करती है। इन चार राज्यों में संगठनात्मक बदलाव से पार्टी को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी। खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।
नए अध्यक्षों के कार्यभार संभालने के बाद, किसान कांग्रेस की राज्य इकाइयां किसान कल्याण और कृषि सुधारों से जुड़े मुद्दों पर काम करेंगी। कांग्रेस पार्टी का लक्ष्य जमीनी स्तर पर किसानों की आवाज को बुलंद करना और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए सरकार पर दबाव बनाना है।
कांग्रेस पार्टी द्वारा किसान कांग्रेस में किए गए इन संगठनात्मक बदलावों को आगामी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इन नियुक्तियों से पार्टी की किसान इकाई को मजबूती मिलेगी और राज्यों में किसानों से सीधा संपर्क स्थापित करने में मदद मिलेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नए अध्यक्ष अपने-अपने राज्यों में किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए कैसे कार्य करते हैं।