बिलासपुर। मंगला में एक ही भवन और भूमि पर दो शैक्षणिक संस्थानों का संचालन किए जाने का मामला सामने आया है। महर्षि यूनिवर्सिटी और महर्षि शिक्षा संस्थान द्वारा फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर शासन से मान्यता प्राप्त की गई है। इस पर कार्रवाई करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने जांच समिति का गठन किया था, लेकिन अब तक समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है, जिसके चलते डीईओ ने जांच दल के सदस्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मामला यह है कि महर्षि शिक्षा संस्थान मंगला, बिलासपुर में सत्र 2016-17 से डीएलएड पाठ्यक्रम का संचालन उसी भवन में किया जा रहा है, जहां महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी भी संचालित हो रही है। दोनों संस्थान एक ही भूमि, भवन और प्राध्यापकों के दस्तावेज़ों के आधार पर अलग-अलग संस्थान होने का दावा कर डीएलएड पाठ्यक्रम की मान्यता ले रहे हैं। यह माध्यमिक शिक्षा मंडल और एससीईआरटी के नियमों का उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि एक ही भवन और प्राध्यापकों से दो संस्थानों का संचालन अवैध है।
शिकायत के बाद डीईओ ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति में शामिल शिक्षकों निशा तिवारी (शास. बालक उच्चतर मा.वि. सरकंडा), डॉ. रेणु बढेरा (प्राचार्य, शास. हाई. स्कूल इटवापाली), और रघुवीर सिंह राठौर (सहायक संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, बिलासपुर) को दो बार समय देकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया, लेकिन अब तक प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
डीईओ ने जांच दल के सदस्यों को दो दिन के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने और विलंब का कारण स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही, उन्हें हिदायत दी गई है कि जांच कार्य में और देरी न हो, अन्यथा वे स्वयं इसके लिए जवाबदेह होंगे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने यह कदम उठाया है, ताकि इस अवैध और गैरकानूनी कृत्य पर शीघ्र कार्रवाई की जा सके।