रामकुमार भारद्वाज
कोण्डागांव :- छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में बहुप्रतीक्षित कोण्डागांव-नारायणपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-130 के निर्माण कार्य को लेकर क्षेत्रीय जनता, सामाजिक संगठनों और तकनीकी विशेषज्ञों की चिंताएं गहराने लगी हैं। यह सड़क एक ओर जहां अबूझमाड़ के घने जंगलों में बसे गांवों को देश की मुख्यधारा से जोड़ेगी, वहीं दूसरी ओर इसके निर्माण में जिस स्तर की अनियमितताएं उजागर हो रही हैं, वह पूरे सड़क विकास मॉडल पर प्रश्नचिन्ह लगा रही हैं।
इस परियोजना की कुल लंबाई 48 किलोमीटर है, जिसे 147.70 करोड़ की लागत से मेसर्स गणेश प्रसाद खेतान नामक एजेंसी के माध्यम से निर्मित किया जा रहा है। निर्माण में 69 पुलिया और 10 माइनर पुल शामिल हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि निर्माण स्थलों पर तकनीकी मानकों की अनदेखी की जा रही है। पुलियों में 10-12 एमएम मोटाई के सरिए का प्रयोग किया जा रहा है और दो सरियों की दूरी कहीं 10 तो कहीं 12 इंच तक रखी जा रही है—जो संरचनात्मक मजबूती के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिया निर्माण में सीमेंट, रेत और गिट्टी के अनुपातों में भी गंभीर गड़बड़ी की जा रही है। 1 बोरी सीमेंट में 30 तगाड़ी रेत और 20 तगाड़ी गिट्टी मिलाकर बेस तैयार किया जा रहा है, जिससे सड़क की उम्र बहुत सीमित हो सकती है। स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब ठेकेदार द्वारा अब तक निर्माण स्थल पर कोई सूचना पटल तक नहीं लगाया गया है।
खनिज संसाधनों की लूट भी चरम पर
निर्माण एजेंसी द्वारा माइनिंग विभाग से अनुमति लिए बिना आसपास के क्षेत्रों से मुरूम, मिट्टी और रेत का अवैध दोहन किया जा रहा है। इससे पर्यावरणीय संतुलन को तो खतरा है ही, साथ ही कई गांवों में खतरनाक गहरे गड्ढे बन चुके हैं। जोंदरापदर के सरकारी स्कूल के पास 25 फीट गहरे गड्ढे से बच्चों की सुरक्षा पर संकट खड़ा हो गया है।
प्रशासन और विभागीय तंत्र की निष्क्रियता
ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार और विभागीय अधिकारी आंख मूंदकर निर्माण को अनदेखा कर रहे हैं। खनिज अधिकारी गौतम नेताम का कहना है कि उनके पास स्टाफ की कमी है और अकेले होने के कारण वे कार्रवाई नहीं कर पाते। कई बार प्रशासनिक सहयोग भी नहीं मिल पाता। यह जवाब दर्शाता है कि सिस्टम में जिम्मेदारी का अभाव है।
गुणवत्ता सुधारने निर्देश दिया गया है_एसडीओ का पक्ष
राष्ट्रीय राजमार्ग-130 के एसडीओ जीवन नेताम ने बताया कि ठेकेदार को सूचना पटल लगाने और गुणवत्ता सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्य विभागीय स्वीकृति के ड्राइंग और इस्टीमेट के अनुसार कराया जा रहा है, जिसमें सरिया की दूरी एस्टीमेट के हिसाब से अंदर साईड 200 एमएम यानी की 8इंच और बाहर साईड 210 एमएम होना चाहिए, लेकिन मीडिया द्वारा जानकारी मिली है कि 11इंच से 12इंच तक लगाए जा रहे है। जिसकी गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद जांच जरूरी हो गई है।
जनता की अपील : हो उच्चस्तरीय जांच
स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों रितेश पटेल महामंत्री जिला कांग्रेस कमेटी, एवं जिलाध्यक्ष सर्व पिछड़ा वर्ग समाज जिला कोण्डागांव, मंगलु नेताम पूर्व सदस्य मंडी बोर्ड एवं अनिरुद्ध नेताम पूर्व सरपंच उमरगांव”ब” और समाज सेवक व एडवोकेट तिलक पांडे व सामाजिक संगठन के मोहम्मद शकील सिद्दीकी आल मुस्लिम वेलफेयर फाउंडेशन ने इस पूरे निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते कार्य की गुणवत्ता पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह सड़क कुछ ही वर्षों में बदहाल हो जाएगी और करोड़ों रुपये की यह परियोजना जनता के लिए कोई स्थायी लाभ नहीं दे पाएगी।