Ajab-Gajab: धरती पर समुद्र से लेकर बर्फीली चट्टानें और नदियां सभी शामिल हैं। सभी को पता है कि दुनिया में कुल पांच महासागर हैं, जो अथाह हैं यानी उनकी कोई सीमा नहीं है। महासागरों के शुरुआती और अंतिम छोर के बारे में जानकारी हासिल करना बेहद ही मुश्किल काम है। महासागरों की गहराईयों में न जाने कितने राज छिपे हैं। अपनी खबर में इन्ही महासागरों से जुड़ा एक रहस्य आपको हम बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
दरअसल, हिंद महासागर औपर प्रशांत महासागर का अलास्का की खाड़ी में मिलन होता है, लेकिन हम यह कह सकते हैं कि ये दोनों महासागर मिलकर भी नहीं मिलते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनका पानी एक दूसरे में कभी मिश्रित नहीं होता है। हिंद महासागर का पानी अलग रहता है और प्रशांत महासागर का अलग।
तस्वीरों में साफ दिखता है कि दोनों महासागरों का पानी अलग-अलग है। एक नीला दिखाई देता है तो एक हल्का हरा। कुछ लोग इस रहस्य को धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर देखते हैं तो कुछ लोग इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हैं।
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दो महासागरों के मिलकर भी न मिलने का क्या है रहस्य? आप जानकर हो जाएंगे
आइए बताते हैं आखिर क्यों इन दोनों महासागरों का पानी एक दूसरे से नहीं मिलता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, दोनों महासागरों के नहीं मिलने का कारण खारे और मीठे पानी का घनत्व, तापमान और लवणता का अलग-अलग होना है।
माना जाता है कि जिस जगह पर दोनों महासागर मिलते हैं, वहां झाग की एक दीवार बन जाती है। अब अलग-अलग घनत्व की वजह से दोनों एक दूसरे से मिलते तो हैं, लेकिन उनका पानी मिश्रित नहीं होता।
दोनों महासागरों के नहीं मिलने की एक और वजह बताई जाती है। माना जाता है कि अलग-अलग घनत्व के पानी पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो उनका रंग बदल जाता है। इससे ऐसा लगता है कि दोनों महासागर मिलते तो हैं, लेकिन उनका पानी एक दूसरे में मिल नहीं पाता।