अयोध्या। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में आज राम नवमी का पर्व पूरे धूमधाम और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। इस खास अवसर पर राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के माथे पर सूर्य तिलक का अद्भुत और अलौकिक दृश्य देखने को मिला। दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणें वैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से रामलला के ललाट पर पड़ीं, जिसे देखकर लाखों श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
राम मंदिर में इस सूर्य तिलक को संभव बनाने के लिए विशेष ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम का उपयोग किया गया। मंदिर की तीसरी मंजिल पर लगे दर्पण और लेंस के जटिल तंत्र के जरिए सूर्य की किरणें गर्भगृह तक पहुंचीं और करीब चार मिनट तक रामलला के मस्तक पर 75 मिमी के गोलाकार तिलक के रूप में चमकती रहीं। इस आयोजन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) के वैज्ञानिकों का विशेष योगदान रहा।
राम नवमी के इस पावन अवसर पर अयोध्या को फूलों और रोशनी से सजाया गया था। सुबह 9:30 बजे से रामलला का अभिषेक शुरू हुआ, जिसके बाद उनका विशेष श्रृंगार किया गया। दोपहर 12 बजे जन्मोत्सव के साथ सूर्य तिलक और भव्य आरती का आयोजन हुआ। इस दौरान मंदिर परिसर में मंत्रोच्चार और जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इस बार 25 से 30 लाख श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने की संभावना थी, जिसके लिए व्यापक सुरक्षा और व्यवस्था की गई थी। मंदिर परिसर में दर्शन के लिए 18 घंटे का समय निर्धारित किया गया, ताकि अधिक से अधिक भक्त इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन सकें।
यह दूसरा मौका है जब राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम नवमी पर सूर्य तिलक का आयोजन किया गया। देश-विदेश से आए भक्तों के साथ-साथ टेलीविजन और ऑनलाइन प्रसारण के जरिए करोड़ों लोगों ने इस दिव्य क्षण को देखा। अयोध्या के इस भव्य उत्सव ने एक बार फिर विज्ञान और आस्था के संगम को साकार किया।