NPS vs Mutual Funds: कौन दे रहा सबसे ज्यादा रिटर्न, जानकर करने लगेंगे तुरंत निवेश

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महंगाई की मार और लंबी होती जीवन प्रत्याशा ने भारत में रिटायरमेंट प्लानिंग को नई दिशा दी है। अब लोग केवल एफडी या पीपीएफ जैसे सुरक्षित विकल्पों तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि ऐसे निवेश चाहते हैं जो लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न दे और टैक्स भी बचाए। दो बड़े विकल्पों – नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और म्यूचुअल फंड्स – के बीच तुलना करके यह जानना जरूरी हो गया है कि किसमें निवेश करना ज्यादा समझदारी भरा कदम होगा।

NPS ने दिखाया भरोसे का दम
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को सरकार द्वारा समर्थित रिटायरमेंट स्कीम माना जाता है। मार्च 2025 तक NPS ने अलग-अलग अवधि में कई योजनाओं के जरिए शानदार प्रदर्शन किया है।

  • DSP पेंशन फंड ने पिछले एक साल में 13.75% का रिटर्न दिया
  • जबकि UTI पेंशन फंड ने 3 साल में 13.47% और 5 साल में 17.38% तक रिटर्न दिया है
    • DSP Equity Tier-1 स्कीम का सालाना रिटर्न 15.06% रहा, जो सभी योजनाओं में सबसे आगे रहा

    दूसरी तरफ SBI, Max Life, Aditya Birla जैसे फंड्स ने तुलनात्मक रूप से कम या निगेटिव रिटर्न दिया है।

    NPS क्यों बन रहा है म्यूचुअल फंड्स पर भारी?
    NPS की खासियत यह है कि इसमें इक्विटी एलोकेशन की सीमा 75% तक है। यानी निवेशक अपने रिटर्न को इक्विटी बाजार की संभावनाओं से जोड़ सकते हैं। इसमें मल्टी-कैप पोर्टफोलियो और सक्रिय फंड प्रबंधन की वजह से बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन की संभावना बनी रहती है।
    वहीं दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड्स भी अच्छे रिटर्न देते हैं लेकिन उनका व्यय अनुपात (expense ratio) ज्यादा होता है। जबकि NPS का एक्सपेंस रेशियो 0.62% से 1.02% तक सीमित है।

    म्यूचुअल फंड बनाम NPS: एक नजर में तुलना

    मापदंड NPS म्यूचुअल फंड
    रिटर्न उच्च (बेंचमार्क से बेहतर) अस्थिर लेकिन संभावनाओं से भरपूर
    टैक्स लाभ सेक्शन 80C और 80CCD(1B) केवल 80C
    एक्सपेंस रेशियो कम तुलनात्मक रूप से ज्यादा
    निकासी 60 साल के बाद कभी भी (शॉर्ट/लॉन्ग टर्म टैक्स लागू)
    स्थिरता अनुशासित और सुरक्षित बाजार की चाल पर निर्भर

    टैक्स बचाने के लिए भी बेहतर विकल्प है NPS
    NPS में निवेश करने पर आपको धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक और 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त ₹50,000 की छूट मिलती है। यानी कुल ₹2 लाख तक की टैक्स बचत की जा सकती है। यही वजह है कि मिडिल क्लास निवेशक अब NPS को टैक्स सेविंग टूल के रूप में भी देख रहे हैं।

    NPS में निवेश कैसे करें? जानिए आसान तरीका
    NPS में दो तरह से निवेश किया जा सकता है –
    1. Active Choice – इसमें आप तय करते हैं कि कितना पैसा इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड या सरकारी सिक्योरिटीज में जाए
    2. Auto Choice – इसमें आपकी उम्र के आधार पर सिस्टम खुद एसेट एलोकेशन तय करता है

    NPS में निवेश करते समय आप साल में एक बार फंड मैनेजर और दो बार स्कीम का एसेट एलोकेशन बदल सकते हैं। आप DSP, HDFC, UTI जैसे फंड मैनेजर को चुन सकते हैं।

    (डिस्कलेमर – कहीं भी निवेश करने से पहले जांच करें क्योंकि यह केवल एक सुझाव है।)

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