रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक महीने से अधिक समय से चल रही पंचायत सचिवों की हड़ताल अब समाप्त हो गई है। शासकीयकरण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे पंचायत सचिवों को पंचायत मंत्री विजय शर्मा से सकारात्मक आश्वासन मिला, जिसके बाद सचिवों ने आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया।
पिछले एक महीने से सचिव वर्ग शासकीयकरण की मांग को लेकर प्रदर्शनरत था, जिससे प्रदेश के ग्रामीण विकास कार्यों पर भी असर पड़ रहा था। पंचायत सचिव संघ के प्रतिनिधियों ने बताया कि पंचायत मंत्री विजय शर्मा से हुई बैठक में उन्हें मांगों पर विचार का भरोसा मिला, जिसके बाद आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
क्या थी सचिवों की मुख्य मांगें?
- शासकीयकरण – पंचायत सचिवों की सबसे प्रमुख मांग थी कि उन्हें नियमित शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए।
- वेतनमान में सुधार – मौजूदा मानदेय की जगह तयशुदा सरकारी वेतन देने की मांग की गई।
- सेवा सुरक्षा – अनुबंध के आधार पर काम करने की बजाय स्थाई नियुक्ति और सेवा सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात रखी गई।
हड़ताल का असर:
सचिवों की हड़ताल से राज्य भर में पंचायतों के कई कार्य ठप पड़े थे। मनरेगा, ग्रामीण विकास योजना, राशन वितरण, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे जरूरी कामों पर असर पड़ा। गांवों में आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई पंचायत कार्यालय तालेबंद रहे और फील्ड में विकास कार्य पूरी तरह से रुक गए थे।
सरकार की प्रतिक्रिया:
पंचायत मंत्री विजय शर्मा ने सचिवों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर आश्वासन दिया कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी। उन्होंने कहा कि सचिवों की समस्याओं को समझा गया है और जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। मंत्री ने सचिवों से प्रदेश के विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की अपील भी की।
संघ की प्रतिक्रिया:
सचिव संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “हम सरकार के आश्वासन का सम्मान करते हैं और फिलहाल हड़ताल समाप्त कर रहे हैं। यदि मांगें समय पर पूरी नहीं होतीं, तो भविष्य में आंदोलन फिर शुरू किया जा सकता है।”