दिल्ली :- केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का एलान कर दिया है। यह जनगणना मूल जनगणना के साथ ही कराई जाएगी। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कर पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा से ही जातिगत जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद से ही जाति को जनगणना की किसी भी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया कि जातिगत जनगणना को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। इसेक बाद एक मंत्रीमंडल समूह का गठन किया गया। इसमें ज्यादातर राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना की संस्तुति की। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने महज खानापूर्ति का ही काम किया। उसने महज सर्वे कराना ही उचित समझा।केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके इंडी गठबंधन के सहयोगियों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है। जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है। यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण सुचारू रूप से किया है, जबकि राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में भ्रांति फैली है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा सामाजिक ताना-बाना राजनीति के दबाव में न आए। हमें जाति जनगणना के लिए एक मंच तैयार करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि समाज आर्थिक और समाजिक दृष्टि से मजबूत होगा और देश का विकास भी निर्बाध रूप से चलती रहेगी।
जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम होते हैं। इससे न सिर्फ जनसंख्या बल्कि जनसांख्यिकी, आर्थिक स्थिति कई अहम पहलुओं का पता चलता है। विपक्षी कांग्रेस समेत तमाम सियासी पार्टियां जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं, ताकि देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की कुल संख्या का पता चल सके।पहली जनगणना 1872 और आखिरी 2011 में हुई थी
भारत में हर दस साल में जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी, जबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था।