मारे गये इनामी नक्सली से बरामद पत्र में नक्सली संगठन द्वारा नाबालिकों को गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग देने का हुआ खुलासा

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जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली संगठन नाबालिक बच्चे-बच्चियों के हाथों में हथियार पकड़ा रहे हैं, जंगल में इनको बम बनाना सिखा रहे हैं। इसका खुलासा दंतेवाड़ा-बीजापुर जिले की सीमा पर मंगलवार को हुए मुठभेड़ में मारे गये 25 लाख रुपए के इनामी नक्सली सुधीर उर्फ सुधाकर के पास से बरामद 4 पन्नों के पत्र से हुआ है। इस पत्र में जिक्र है कि 9, 10 और 11 साल के 40 बच्चे, 14-17 साल के 40 और 18-22 साल के 50 लड़कों समेत 130 लोगों की नक्सल संगठन में नई भर्तियां का जिक्र किया गया हैं। बरामद पत्र में मिले सबूत के अनुसार जंगल में नाबालिक बच्चों को नक्सली गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग दे रहे हैं। लड़ाई के गुर, हथियार चलाना (स्नाइपर चलाना) और आईईडी बनाना सिखा रहे हैं। हालांकि नक्सलियों के बड़े लीडर्स अपनी समीक्षा में इन्हें फिलहाल लडऩे के योग्य नहीं बता रहे हैं।

मारे गये इनामी नक्सली से बरामद पत्र में नक्सली संगठन द्वारा नाबालिकों को गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग देने का हुआ खुलासा

प्राप्त जानकारी के अनुसार नक्सली लीडर सुधाकर उर्फ मुरली के पास से पुलिस ने सामान के साथ तेलुगु भाषा में लिखा एक पत्र भी बरामद हुआ है, जिसमें नक्सल संगठन में नए लड़कों की भर्ती और नक्सली लीडर्स के साथ बैठक सहित कई बातें लिखी हुई हैं। पत्र में लिखा है कि कुछ दिन पहले नक्सलियों की उत्तर बस्तर ब्यूरो में माड़ इलाके में सीसीएम, डीकेएसजेडसी कैडर के नक्सलियों की हाई लेवल मीटिंग हुई थी। इस बैठक में नक्सल संगठन के काम, नुकसान, कामयाबी और चुनौतियों की समीक्षा की गई, उसकी रिपोर्ट तैयार की गई, जिसका उल्लेख पत्र में किया गया है। इसके अलावा पत्र में यह भी लिखा है, कि नक्सल संगठन में नई भर्ती नहीं हो रही है, जिससे परेशानी बढ़ गई है। युवक-युवतियों को संगठन में भर्ती करवाना मुश्किल हो गया है। पत्र में लिखा है कि कुछ महीने पहले माड़ इलाके में ग्रामसभा कर जो भर्ती की गई थी, वह अंतिम भर्ती थी। इसके साथ ही लिखा है कि जिन लड़कों की भर्ती की गई है, वे अभी लडऩे योग्य नहीं हैं। नक्सल संगठन को लड़ाके चाहिए, जो भर्ती हुए हैं, उन्हें नक्सल नीति, राजनीति, लड़ाई लडऩे की ट्रेनिंग दी गई है। उनको अभी लडऩे योग्य बनाने में समय लगेगा। पत्र में लिखा है कि जो संगठन में हैं, उनमें ज्यादातर लोगों ने आत्मसमर्पण कर दिया और कुछ मारे गए हैं। अगर नक्सल संगठन में नई भर्तियां नहीं होती हैं तो नक्सलवाद का अस्तित्व खतरे में है। लड़ाई लडऩे में मुश्किल होने का जिक्र किया गया है। पत्र को अलग-अलग एरिया कमेटी में भेजकर उन्हें नई भर्ती और मीटिंग में हुई समीक्षा की जानकारी दी गई है।
नक्सलियों के 4 पन्नों के तेलुगु भाषा में हाथ से नीली स्याही से लिखे पत्र में उनका लेखा-जोखा लिखा हुआ है। पहले पेज के दूसरे पैराग्राफ में लिखा है कि माड़ डिवीजन के इंद्रावती एरिया कमेटी और नेलनार एरिया में 130 लोगों की नई भर्ती हुई है, जिन्हें गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दिए हैं। 18 से 22 उम्र के युवक-युवतियों को हथियार थमाया गया है, लेकिन 9 से 17 उम्र तक के अभी बच्चे हैं। उन्हें पढ़ाई करवाई गई है, जो अनपढ़ हैं उन्हें अक्षर ज्ञान दिया गया है। भौगोलिक स्थिति के बारे में नक्सल संगठन, नक्सलवाद के इतिहास और क्रांति के बारे में जानकारी देने की बात लिखी है। नक्सलियों के इस पत्र में लिखा है कि अगर कोई युवक-युवती नक्सल संगठन में शामिल होते हैं, हथियार पकड़ते हैं, तो वे अब गांव न जाएं, क्योंकि उन्हें डर है कहीं लड़ाके आत्मसमर्पण् न कर दें, या फिर पुलिस उन्हें गिरफ्तार न कर ले, इसलिए नक्सलियों ने इस तरह का फरमान जारी किया है। नक्सलियों को उनकी पत्नी या माता-पिता से मिलने का मन हो तो उन्हें जंगल में ही उनके ठिकाने में बुला लिया जाएगा, फिर भी कोई जाता है तो वो इसकी जानकारी संगठन के बड़े लीडर को दें। उसकी इजाजत के बगैर जाने की अनुमति नहीं होगी। पत्र में लिखा हुआ है कि जो भी नए लड़ाके भर्ती हुए हैं उन्हें नक्सलियों के ट्रेनर स्नाइपर समेत अन्य हथियारों की जानकारी दिए हैं। एयर स्ट्राइक, जंगल की भौगोलिक स्थिति और गुरिल्ला वार के गुर सिखाए गए हैं, बाहर से गेस्ट टीचर को बुलाया गया था, जिसने उन्हें आईटी की भी ट्रेनिंग दी है, इसके साथ ही कुछ की ट्रेर्निंग जारी है।
नक्सलियों के इस पत्र में अंदरूनी इलाके में ग्राम सभा करने की जानकारी है, जिसमें सरपंच से लेकर गांव के ग्रामीण मौजूद थे। जिसके बाद उन्होंने इस सभा में हर एक घर से युवक-युवतियों को भर्ती करने का फरमान जारी किया था। नक्सलियों के इस फरमान के बाद गांव से युवक-युवतियों की एक लिस्ट बनाई गई और उन्हें नक्सल संगठन में शामिल होने भेजा गया। इा पत्र में यह भी उल्लेख है कि नक्सल संगठन में लगातार हो रहे मुठभेड़ से दहशत में है, नए युवक-युवती संगठन में भर्ती नहीं होना चाहते हैं। नक्सलियों ने पत्र में लिखा है कि यदि 100 से 200 नए भर्ती हुए हैं और इनमें से 15 से 20 संगठन छोड़ रहे हैं तो संगठन को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन 50, 60 या फिर इससे ज्यादा संगठन छोड़ते हैं तो नक्सल संगठन कमजोर होगा और उनका उद्देश्य पूरा नहीं होगा। नक्सलियों के पत्र में बस्तर में नक्सलियों की स्कूल, नए भर्ती के आंकड़े, किसे क्या ट्रेनिंग देनी है, इसकी जानकारी होने से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 25 लाख रुपए के जिस इनामी नक्सली सुधाकर को मारा है, वह संगठन के शिक्षा विभाग की कमान सम्हाल रखा था। नक्सलियों को अक्षर ज्ञान से लेकर उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का काम करता था।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने मारे गए इनामी नक्सली से बरामद पत्र में नक्सली संगठन नाबालिकों को गुरिल्ला वार ट्रेनिंग देने के संबंध में उन्होंने कहा कि नक्सलियों का यह तरीका नया नहीं है, नक्सली नाबालिक बेकसूर नाबालिकों को अनैतिक रूप से इस तरह के खतरनाक काम में शामिल करते रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा कैंप खुल रहा है, वहां इसमें कमी आई है और अंदरूनी इलाकों के ग्रामीण अपने बच्चों को अब पढऩे के लिए स्कूल भेजने लगे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नक्सली प्रभावित कुछ अंदरूनी इलाकों में जहां अभी सुरक्षा कैंप नहीं खुले है, वहां पर नक्सलियों के द्वारा नाबालिकों की भर्ती करने का घृणित कम कर रहे हैं, उन इलाकों में भी सुरक्षा कैंप खुलने के बाद इसमें पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा। उन्होने नक्सली संगठन से अपील करते हुए कहा कि बस्तर में अब नक्सलियों के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं रह गया है। नक्सली संगठन के पास अब हिंसा छोडकर आत्मसमर्पण करने के अलावे कोई विकल्प नही बच है इसलिए वे तत्काल हिसात्मक गतिविधियों को छोडकर समाज के मूख्यधारा से जुड़े।

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