दंतेवाड़ा। राज्य शासन की प्राथमिकता में दंतेवाड़ा जिला विगत कई वर्षों से रहा है। बस्तर की कला और संस्कृति के संवर्धन हेतु बस्तर पंडुम का विशेष आयोजन आरंभ किया गया है।
‘बस्तर पण्डुम’ के तहत जिला स्तरीय कार्यक्रम का मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर स्थित मेंढका डोबरा में शनिवार को विधिवत उद्घाटन किया गया। आदिम जाति विकास, अनुसूचित जाति विकास, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास, कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने ‘बस्तर पण्डुम 2025’ का उद्घाटन करते हुए समूचे जिले के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
इस दौरान दंतेवाड़ा जिले के सभी चारों ब्लॉक के प्रतिभागियों ने जिला स्तरीय ‘बस्तर पण्डुम’ में उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस दौरान अतिथियों ने सभी विकासखण्डों के द्वारा लगाए गए स्टॉलों का भी अवलोकन कर जनजातीय आभूषण, शिल्प कला, स्थानीय पेय पदार्थों एवं व्यंजन इत्यादि को बारीकी से देखा और जानकारी ली।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री नेताम ने शुभारंभ समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिले के प्रतिभागी इतनी बड़ी संख्या में बस्तर पंडुम के इस आयोजन के सहभागी बने हैं। वर्तमान समय में भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति, परम्परा, रीति-रिवाज से दूर होती जा रही है, इसलिए हम सबका कर्तव्य है कि बस्तर की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करना है। बस्तर की सांस्कृतिक खुशबू को देश-दुनिया तक पहुंचाना है। यहां की तीज-तिहार अलग-अलग कलाओं एवं रीति-रिवाज को पहचान देने के लिए हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में ‘बस्तर पंडुम’ का आयोजन किया जा रहा है।
मंत्री श्री नेताम ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन स्थानीय संस्कृति और प्रतिभाओं को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण माध्यम है।
इस आयोजन से बस्तर की पारंपरिक विरासत, परंपरा, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार बस्तर के अंदरूनी इलाके के युवाओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल कर विकास में सहभागी बनाने के लिए हर संभव पहल कर रही है। यही वजह है कि बस्तर के हर क्षेत्र में विकास की धारा पहुंच रही है और आने वाले दिनों में बस्तर के चहुंओर शांति और विकास की बयार बहेगी। बस्तर की संस्कृति को संजोने के लिए विभिन्न कलाकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है। बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक कराने का मूल उद्देश्य यहां के युवा माओवाद से मुक्त होकर मुख्यधारा में जुड़ें तथा हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की मंशानुरूप बस्तर को मार्च 2026 तक माओवाद समस्या मुक्त कर बस्तर को शांति का टापू बनाएंगे।
अध्यक्ष जिला पंचायत नंदलाल मुड़ामी ने कहा कि यह महोत्सव हमारी परंपराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का अवसर है। उन्होंने आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति, लोककला और परंपराओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और बस्तर की अनूठी पहचान को आगे बढ़ाएं। ‘बस्तर पंडुम’ बस्तर की संस्कृति, लोकनृत्य, परम्परा, हाट बाजार और आदिवासी समाज की जीवनशैली को दर्शाने वाला एक प्रमुख आयोजन है।
इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष अरविन्द कुंजाम, 18 सर्व समाजों के प्रमुख, कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी, पुलिस अधीक्षक श्री गौरव राय, डीएफओ श्री सागर जाधव, जिला पंचायत सीईओ जयंत नाहटा, अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, एएसपी आरके बर्मन तथा बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद थे।