में नक्सल संगठन लगातार कमजोर होता जा रहा है। लगातार हो रहे एनकाउंटर और सरेंडर की वजह से अब संगठन में गिनती के लड़ाके बचे हैं। इस स्थिति के बीच में अब नक्सल संगठन से जुडऩे से युवा बच रहे हैं। ऐसे वक्त में बस्तर के जंगलों में नक्सली बच्चों की भर्ती कर रहे हैं। परिजनों को डरा-धमकाकर बच्चों को संगठन में भर्ती करने दबाव डाला जा रहा है।इसके लिए बस्तर के कुछ गांवों में ग्रामसभा हुई और वहां नक्सलियों ने बच्चों को संगठन में भर्ती करने का फरमान जारी किया। इस बात का खुलासा 25 मार्च को एनकाउंटर में मारे गए नक्सली सुधाकर के पास से मिले पत्र से हुआ है। चार पन्नों का पत्र तेलुगु भाषा में लिखा हुआ है। इसमें जिक्र है कि 9,10 और 11 साल के 40 बच्चे, 14-17 साल के 40 और 18-22 साल के 50 युवाओं समेत 130 की नक्सल संगठन में नई भर्तियां की गई हैं।
जंगल में नक्सली गुरिल्ला वॉर की ट्रेनिंग दे रहे हैं। लड़ाई के गुर, हथियार चलाना और बम बनाना सिखा रहे हैं। पत्र में लिखा है कि माड़ डिवीजन के इंद्रावती एरिया कमेटी और नेलनार एरिया में 130 लोगों की नई भर्ती हुई है, जिन्हें गुरिल्ला वॉर की ट्रेनिंग दी गई है।
अभी लड़ने के योग्य नहीं
हालांकि नक्सलियों के बड़े लीडर्स अपनी समीक्षा में इन्हें फिलहाल लडऩे के योग्य नहीं बता रहे हैं। कुछ दिन पहले नक्सलियों की उत्तर बस्तर ब्यूरो में माड़ इलाके में सीसीएम और डीकेएसजेडसी कैडर के नक्सलियों की हाई लेवल मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में नक्सल संगठन के काम, नुकसान, कामयाबी और चुनौतियों की समीक्षा की गई। उसकी रिपोर्ट तैयार की गई है। 25 लाख रुपए के इनामी नक्सली लीडर सुधाकर उर्फ मुरली नक्सलियों को अक्षर ज्ञान से लेकर उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का काम करता था।
भर्ती होने के बाद गांव ना जाएं, परिजनों को जंगल बुलाएं
पत्र में लिखा है कि अगर कोई युवक-युवती नक्सल संगठन में शामिल होते हैं, तो वे गांव न जाएं, क्योंकि उन्हें डर है कहीं लड़ाके सरेंडर न कर दें, या फिर पुलिस उन्हें गिरफ्तार न कर ले, इसलिए नक्सलियों ने फरमान जारी किया है। नक्सलियों को उनकी पत्नी या माता-पिता से मिलने का मन हो तो उन्हें जंगल में ही उनके ठिकाने में बुला लिया जाएगा, फिर भी कोई जाता है तो वो इसकी जानकारी संगठन के बड़े लीडर को दें।