रायपुरः बलौदाबाजार हिंसा मामले में गिरफ्तार भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव (MLA Devendra Yadav)को हाईकोर्ट के बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने देवेन्द्र यादव की जमानत याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस एन.के. व्यास की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस पर अपना फैसला 12 दिसंबर 2024 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज घोषित किया गया। दरअसल, पुलिस ने बलौदाबाजार हिंसा के केस में विधायक देवेंद्र यादव को आरोपी बनाया है। इस मामले में पुलिस ने 4 बार नोटिस जारी किया, लेकिन विधायक ने बयान देने जाने से मना कर दिया था। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
17 अगस्त को हुई थी गिरफ्तारी
विधायक देवेंद्र यादव को पुलिस ने 17 अगस्त को भिलाई से गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से लगातार न्यायिक रिमांड बढ़ी। वे रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद रहे। पिछले दिनों तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस बीच उन्होंने जमानत के लिए कई बार अर्जी लगाई। लेकिन, हाईकोर्ट ने जमानत खारिज कर दी है। वे वर्तमान में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। इस मामले में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने जेल में उनसे मुलाकात की है। इनमें प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदयभानु चिब शामिल हैं।
पुलिस ने पेश किया 449 पेज का चालान
जेल में बंद विधायक देवेंद्र यादव की जमानत निचली अलादत ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद उनके वकील ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। इधर, केस में देवेंद्र यादव और ओमप्रकाश बंजारे के खिलाफ पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में 449 पेज का चालान पेश किया है। आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसक प्रदर्शन मामले में आरोपी बनाया है। विधायक देवेंद्र यादव पर हिंसा भड़काने का आरोप है। पुलिस का दावा है कि देवेंद्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत और गवाह है। इसके अलावा पुलिस के पास कुछ वीडियो भी है। इसको आधार बनाकर उन्हें हिंसा भड़काने का आरोपी बनाया गया है।
अब हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका
विधायक देवेंद्र यादव के वकील ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान तर्क दिया था कि, उनके क्लाइंट का इस घटना से कोई संबंध नहीं है। पुलिस उन्हें झूठे केस में फंसाया गया है। वकील ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते देवेंद्र यादव को आरोपी बनाया गया है। जबकि, वे घटना के समय वहां मौजूद ही नहीं थे। न ही उनके खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था, जिस पर आज फैसला सुनाते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी है।